रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास जंग में जबरदस्त तरीके से इस्तेमाल किए जा रहे तरह-तरह के ड्रोन और यूएवी को देखते हुए, भारतीय सेना ने भी लेह में चल रहे हिम-ड्रोन-ए-थॉन से कई अनमैन्ड सिस्टम को शॉर्टलिस्ट किया है. साथ ही कुछ स्वदेशी कंपनियों को अपने ड्रोन में सेना के जरुरत के हिसाब से बदलाव करने की भी सलाह दी है.
लेह-लद्दाख में इनदिनों दो दिवसीय ड्रोन-ए-थॉन (17-18 सितंबर) चल रहा है. भारतीय सेना ने फिक्की (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की मदद से इस हिम-ड्रोन प्रदर्शनी का आयोजन किया है.
हिम-ड्रोन प्रदर्शनी का उद्देश्य स्वदेशी कंपनियों द्वारा ड्रोन टेक्नोलॉजी को सेना के समक्ष प्रस्तुत करना था. क्योंकि इन ड्रोन का इस्तेमाल भारी संख्या में पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी), सियाचिन ग्लेशियर और कारगिल में होने जा रहा है. ऐसे में इन ड्रोन की क्षमताओं को 14 हजार फीट की ऊंचाई पर परखा जा रहा है.
भारतीय सेना के मुताबिक, इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन जंग में सर्विलांस, लॉजिस्टिक, कम्युनिकेशन और प्रेसशियन स्ट्राइक जैसे डोमेन में ड्रोन और यूएवी का इस्तेमाल हुआ है. ऐसे में भारतीय सेना भी अपने मिलिट्री ऑपरेशन्स में उनका इस्तेमाल करना चाहती है.
साथ ही भारतीय सेना, ये वर्ष (2024) टेक्नोलॉजी अपनाने के तौर पर मना रही है. ऐसे में भारतीय सेना भी ड्रोन-वारफेयर और डेस्ट्रेक्टिव टेक्नोलॉजी के जरिए अपनी रणनीति को धार देने की तैयारी कर रही है.
हिम-ड्रोन में देशभर की करीब 20 कंपनियों ने हिस्सा लिया. इन कंपनियों ने सर्विलांस और लॉजिस्टिक से लेकर लॉएटरिंग-म्युनिशन से लेकर एफपीवी (फर्स्ट पर्सन व्यू) ऑपरेशन्स को अंजाम देने वाले ड्रोन इस दौरान प्रदर्शित किए.
इस ड्रोन-ए-थॉन के जरिए भारतीय सेना, लेह को एक मिलिट्री-टेक्नोलॉजी हब के तौर पर विकसित करने की तैयारी कर रही है. इसी हफ्ते ही लेह में दो दिवसीय हिम-टेक (20-21 सितंबर) प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है. इसमें स्वदेशी कंपनियों भारतीय सेना के लिए हाई ऑल्टिट्यूड में इस्तेमाल होने वाली तकनीक और सैन्य उपकरण को प्रदर्शित करेंगी.