रुस के जंगी बेड़े से घबराए अमेरिका ने अपनी एक पनडुब्बी को क्यूबा के पास तैनात कर दिया है. यूएस की साउथ कमांड ने यूएसएस हेलिना (हेलेना) नाम की सबमरीन को रुस की परमाणु पनडुब्बी के मुकाबले कैरेबियन समंदर में उतारा है. दरअसल, 30-40 साल बाद रुस की परमाणु पनडुब्बी को अपने पिछवाड़े में देखकर अमेरिकी मीडिया के पसीने छूटे हुए हैं. ये घटना ऐसे समय में सामने आई है कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इटली में जी-7 की समिट में शामिल हो रहे हैं और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन नाटो की अहम बैठक में ब्रसेल्स गए हुए हैं.
अमेरिकी मीडिया ने फ्लोरिडा में रुस के मिसाइल अटैक तक का डर दिखा दिया है. अमेरिका को 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट की याद ताजा हो रही है. ऐसे में यूएस साउथ कमांड को ग्वांतानामो खाड़ी में हेलिना को तैनात करना पड़ा. हालांकि, पुतिन ने पहले ही साफ कर दिया है कि रूसी जंगी बेड़ा डिप्लोमेटिक मिशन पर क्यूबा गया हुआ है. ऐसे में डरने की जरुरत नहीं है.
हालांकि, क्यूबा की डिफेंस मिनिस्ट्री ने साफ कर दिया है कि रुस के जंगी बेड़े में कोई ‘परमाणु हथियार नहीं है और रूसी क्रू हवाना पोर्ट पर पहुंचने के बाद क्यूबा के नेवल कमांडर और प्रांतीय गवर्नर से मुलाकात जरुर करेगा. लेकिन अमेरिकी मीडिया ने रुस के जंगी बेड़े को देखकर मिसाइल अटैक का डर दिखाना शुरु कर दिया. ऐसे में अमेरिका ने क्यूबा के ग्वांतानामो खाड़ी में यूएसएस हेलिना सबमरीन को तैनात किया. यूएस साउथ कमांड ने हालांकि बयान जारी कर कहा कि हेलिना की लोकेशन और अपनी ‘एरिया ऑफ रेस्पोंसिबिलिटी’ में तैनाती पहले से तय थी. लेकिन हकीकत ये है कि क्यूबा से मात्र 350 किलोमीटर दूर मियामी बीच (फ्लोरिडा) पर हड़कंप मचा है.
यूएस साउथ कमांड ने बयान में कहा कि “तेजी से हमला करने वाली पनडुब्बी यूएसएस हेलिना एक नियमित बंदरगाह यात्रा के हिस्से के रूप में ग्वांतानामो खाड़ी, क्यूबा में है क्योंकि यह अपने वैश्विक समुद्री सुरक्षा और राष्ट्रीय रक्षा मिशन का संचालन करते हुए अमेरिकी दक्षिणी कमान के भौगोलिक जिम्मेदारी वाले क्षेत्र को पार करती है. जहाज के स्थान और पारगमन की योजना पहले से बनाई गई थी.”
यूक्रेन युद्ध के बीच रुस ने अपने समुद्री-बेड़े को क्यूबा भेजा हुआ है (12-17 जून). इस जंगी बेड़े में एक मिसाइल फ्रिगेट (युद्धपोत) सहित परमाणु पनडुब्बी भी है. रुस के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, फार-ओसियन में अपने ‘फ्लैग को दिखाने’ और ऑपरेशन तैनाती के लिए नॉर्दन फ्लीट के युद्धपोत और पनडुब्बी कैरेबियाई समंदर भेजे गए हैं. इस जंगी बेड़े में क्रूज मिसाइल से लैस ‘एडमिरल गोर्शकोव’ मिसाइल फ्रिगेट और यासेन क्लास ‘कजान’ पनडुब्बी शामिल है. कजान, परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बी है. इसके अलावा रूसी नौसेना का एक रिप्लेसमेंट टैंकर और एक टग-बोट भी शामिल है (Cuba मिसाइल संकट के बादल फिर गहराए ?).
1962 में कोल्ड वार के समय अमेरिका और रुस (तत्कालीन सोवियत संघ) परमाणु-युद्ध के मुहाने पर पहुंच गए थे. कारण था, अमेरिका ने क्यूबा में फिदेल कास्त्रो की सरकार को गिराने का असफल प्रयास किया था. ऐसे में कास्त्रो के समर्थन में रुस ने क्यूबा में अपनी न्यूक्लियर मिसाइलों को तैनात करने की तैयारी कर ली थी. रुस की परमाणु मिसाइल की तैनाती के खिलाफ अमेरिका ने अपनी जंगी जहाजों से क्यूबा की घेराबंदी कर दी थी. हालांकि, बाद में संकट को राजनयिक प्रक्रिया से टाल दिया गया था लेकिन दो सुपर-पावर के परमाणु-जंग के सबसे करीब आने की ये एक बड़ी घटना थी. ठीक वैसी ही स्थिति आज दुनिया के सामने आने जा रही है.
पिछले 30-40 सालों में ये पहली बार है कि रुस की कोई परमाणु पनडुब्बी अमेरिका के इतने करीब पहुंची है. हाल ही में रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सार्वजनिक तौर से ये कहा था कि जिस तरह अमेरिका ने यूक्रेन को हथियार मुहैया कराए हैं, मास्को भी ठीक वैसी ही रणनीति अपनाएगा. यानी रुस भी अपने मित्र-देशों को परमाणु हथियार देने से गुरेज नहीं करेगा. बेलारुस के साथ नॉन-स्ट्रेटेजिक न्यूक्लियर एक्सरसाइज उसी नीति का हिस्सा है.
रुस का जंगी बेड़े ऐसे समय में क्यूबा पहुंचा है जब अमेरिका के लॉन्ग रेंज हथियारों (मिसाइलों) का इस्तेमाल यूक्रेन जबरदस्त तरीके से कर रहा है. न केवल क्रीमिया पर हमला करने के लिए यूक्रेन ने अमेरिका की एटीएसीएमएस मिसाइलों का इस्तेमाल किया है बल्कि ड्रोन के जरिए रुस के अंदरूनी इलाकों पर भी हमला किया है. रविवार को ही यूक्रेन की इंटेलिजेंस एजेंसी ने दावा किया कि यूक्रेन सीमा से करीब 600 किलोमीटर दूर अस्त्राखान में रुस के एक एयरबेस पर तैनात ‘सु-57’ स्टील्थ फाइटर जेट को हमला कर तबाह कर दिया गया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को सप्लाई किए गए हथियारों को रुस के खिलाफ इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी है. लेकिन बाइडेन ने एक चेतावनी के साथ हथियारों के इस्तेमाल की परमिशन दी है. अमेरिका राष्ट्रपति ने कहा है कि हथियारों का इस्तेमाल यूक्रेन से सटे रुस के सीमावर्ती इलाकों में ही किया जा सकता है. वो भी यूक्रेन को आत्मरक्षा के लिए ही इस्तेमाल करने हैं.
गुरुवार को इटली में अमेरिका की अगुवाई में जी-7 देशों ने यूक्रेन के लिए 50 बिलियन डॉलर लोन देने की घोषणा की है. ये लोन पश्चिमी देशों में फ्रीज किए गए रुसी बैंक खातों से होने वाली आमदनी से दिया जाएगा. साथ ही बाइडेन ने जेलेंस्की के साथ दोनों देशों के बीच एक सिक्योरिटी एग्रीमेंट भी किया है जिसके तहत अमेरिका अगले दस सालों के लिए यूक्रेनी सेना की ट्रेनिंग करेगा और साथ ही हथियारों की सप्लाई और वित्तीय मदद में करेगा (G7 में छाया रहेगा रुस-यूक्रेन युद्ध, पीएम मोदी हैं पुतिन के खास मित्र).