July 5, 2024
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भारत में चुनाव, चीन क्यों है परेशान !

भारत में लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव होने जा रहा है. 100 करोड़ भारतीय मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने जा रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस समेत सभी पार्टियां प्रचार में जुटी हुई हैं. इस बीच भारत में चुनावों से चीन में घबराहट बढ़ गई है. क्या चुनाव के दौरान संवेदनशील इलाकों में गड़बड़ियों को फिराक में है चीन ? ये सवाल इसलिए क्योंकि नेपाल बॉर्डर  से चीनी नागरिकों को हिरासत में लिया गया है जो गुपचुप तरीके से भारत में घुसे थे. इससे पहले सोशल मीडिया के जरिए भारतीय चुनावों में चीनी साजिश का पर्दाफाश खुद ‘मेटा’ ने किया था. 

नेपाल सीमा से गुपचुप तरीके से चीनी घुसपैठ
नेपाल से लगी सीमा के पास चीनी नागरिकों के अवैध घुसपैठ की खबर सामने आई है. उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में नेपाल से लगती सीमा पर दो चीनी नागरिकों झोउ पुलिन और युआन युहान नाम की महिला को गिरफ्तार किया गया है, पुलिस के मुताबिक- दोनों चीनी नागरिकों में से एक सिचुआन और महिला हुआंग जिन-बाव  की रहने वाली है. दोनों चीनी नागरिक उस वक्त गिरफ्तार किए गए जब नेपाल के रास्ते भारत में अवैध घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे. सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और सिद्धार्थनगर पुलिस की साझा टीम ने दोनों चीनी नागरिकों को धर-दबोचा. तलाशी के दौरान दोनों के पास से दो चीनी पासपोर्ट, नेपाल से एक पर्यटक वीजा, 2 मोबाइल फोन, 2 नेपाली सिम कार्ड और 2 चीनी सिम कार्ड बरामद हुए हैं.

हिरासत में लिए गए 3 चीनी राजनयिक ?
ऐसी भी खबरें सामने आई हैं कि इस हफ्ते के शुरुआत में असम के डिब्रूगढ़ हवाई अड्डे पर तीन चीनी राजनयिकों को हिरासत में लिया गया था. डिब्रूगढ़ जिला प्रशासन ने मोहनबाड़ी हवाई अड्डे पर चीनी राजनयिक पासपोर्ट वाले तीन लोगों से पूछताछ की. मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में डीएसबी शाखाओं की एक टीम ने उनके दस्तावेजों का सत्यापन किया कि उनके पास भारत के गृह मंत्रालय से मंजूरी है या नहीं. पर थोड़ी देर बाद डिब्रूगढ़ पुलिस ने असम में चीनी नागरिकों को हिरासत में लेने की बात का खंडन कर दिया. असम पुलिस के मुताबिक चीनी नागरिकों को डिब्रूगढ़ पुलिस ने हिरासत में नहीं लिया है, उन्हें तिनसुकिया ले जाया गया है जहां वो एक दिन रुकेंगे.

सोशल मीडिया के जरिए चुनाव प्रभावित करने की साजिश

पिछले साल दिसंबर में फेसबुक, इंस्टा और व्हाट्सएप ग्रुप के मूल कंपनी ‘मेटा’ ने चीन की एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया था. मेटा ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत और अमेरिका में होने वाले चुनावों को प्रभावित करने के लिए चीन ने एक फर्जी नेटवर्क का बड़ा जाल फैला रखा है. मेटा ने बकायदा 4500 से ज्यादा फेक चाइनीज अकाउंट को बंद कर दिया था. ये सभी खाते अमेरिका और भारतीय होने का दावा करके बनाए गए थे. मेटा ने जिन फर्जी सोशल अकाउंट के नेटवर्क को खत्म किया, उन अकाउंट को बनाने के लिए दुनियाभर के सही अकाउंट वाले उपयोगकर्ताओं की प्रोफाइल पिक्चर और नामों को चुराकर उपयोग किया गया था. 

मेटा ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि भारतीय होने का दावा करके अरुणाचल प्रदेश-केंद्रित अकाउंट्स से भारतीय सेना, भारतीय एथलीटों और भारतीय वैज्ञानिक उपलब्धियों के बारे में सकारात्मक टिप्पणियां पोस्ट की गईं, लेकिन भारत सरकार पर भ्रष्टाचार और मणिपुर में जातीय हिंसा का समर्थन करने का आरोप लगाया गया. खासतौर से इन अकाउंट से अमेरिकी राजनीति, अमेरिका-चीन संबंधों, भारतीय राजनीति से संबंधित विभाजनकारी विषयों पर भ्रामक जानकारी प्रसारित की जा रही थी. इसके अलावा बड़े चीनी नेटवर्क के अलावा, मेटा ने दो छोटे नेटवर्क का भी खुलासा किया जो भारत और तिब्बत को लेकर भ्रामक जानकारियां दे रहा था. तिब्बत-केंद्रित अकाउंट्स में तिब्बती नेता दलाई लामा और उनके अनुयायियों पर भ्रष्टाचार और बच्चों के यौन शोषण के भी आरोप लगाकर भड़काने की कोशिश की गई थी. मेटा ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सारे फर्जी अकाउंट्स चीन से बनाए गए थे.

भारत में चुनाव, चीन मीडिया तक है परेशान
भारत में होने वाले चुनाव को लेकर हाल ही में चीनी मीडिया में कई लेख लिखे गए थे. इन लेखों में कहा गया था कि ‘भारतीय चुनावों पर चीनी मीडिया काफी ध्यान दे रही है, क्योंकि भारत, चीन का पड़ोसी देश है और दोनों देशों के बीच अक्सर सीमा विवाद होते रहते हैं. हमें डर है कि भारतीय मीडिया चीन जैसे संवेदनशील मुद्दों को उठाएगा और उसका उपयोग करके उम्मीदवार अपने पक्ष में वोट हासिल करेंगे. जीतने के लिए पार्टी चीन विरोधी भावना का लाभ लेने की कोशिश करेंगे, जैसे कि पहले के चुनावों में किया गया है.

चुनाव आयोग की पैनी नजर
अगले महीने से भारत में आम चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में भारतीय जांच और खुफिया एजेंसियां पड़ोसी देशों और सोशल मीडिया पर पैनी नजर रखे हुए हैं. ताकि चुनाव में किसी भी तरह की कोई हिंसा ना भड़काई जा सके. सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों पर भी एक्शन लेने की तैयारी की गई है. 

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