एक ओर जहां रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शांति वार्ता के लिए हाथ आगे बढ़ा रहे हैं, वहीं अमेरिका और जर्मनी सहित सभी नाटो देश युद्ध में घी डालने का काम कर रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक बार पिर 250 मिलियन डॉलर के हथियार जेलेंस्की को सौंपने का ऐलान किया है. जर्मनी ने 77 टैंक दिए हैं तो इंग्लैंड से मिली हैं 650 मिसाइल. जर्मनी के रैमस्टीन बेस में यूक्रेन डिफेंस कॉन्टैक्ट ग्रुप की बैठक में जेलेंस्की की मौजूदगी में पश्चिमी देशों ने इस मदद की घोषणा की है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका और जर्मनी से हथियार लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाया था. अधिक हथियार की मांग को लेकर जेलेंस्की ने शुक्रवार को जर्मनी में अमेरिकी रक्षा मंत्री समेत 50 से अधिक मित्र देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. मौका था जर्मनी के रैमस्टीन बेस में यूक्रेन डिफेंस कॉन्टैक्ट ग्रुप की मीटिंग का. बैठक के दौरान जेलेंस्की ने रूस के खिलाफ यूक्रेन को मजबूत करने के लिये लंबी दूरी की मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम की मांग की है.
रूस को शांति वार्ता के लिए मजबूर करने के लिए लंबी दूरी की मिसाइल चाहिए: जेलेंस्की
बैठक में जेलेंस्की ने कहा है कि रूस को रोकने के लिए लंबी दूरी की मिसाइल की जरूरत है. जेलेंस्की ने अपने संबोधन में कहा कि “हमें रूस के लोगों और सैनिकों को यह सोचने पर मजबूर करना है कि उन्हें शांति चाहिए या पुतिन ? हमें न केवल यूक्रेन के विभाजित क्षेत्र पर बल्कि रूसी क्षेत्र पर भी लंबी दूरी की क्षमता रखने वाली मिसाइलों की जरूरत है, जिससे रूस को शांति वार्ता के लिए मजबूर किया जा सके.”
कुर्स्क को लेकर पुतिन पर जेलेंस्की का पलटवार
रूस के कुर्स्क क्षेत्र पर यूक्रेन के कब्जे पर जेलेंस्की ने जानकारी देते हुए बताया है कि कुर्स्क में अब तक रूस के मारे गए और घायल सैनिकों की संख्या 6000 पहुंच गई है. जेलेंस्की का ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कुर्स्क पर यूक्रेनी दावों को बेबुनियाद करार दिया है.
कीव को 25 करोड़ डॉलर की और मदद करेगा अमेरिका
जर्मनी में पहुंचे अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन लॉयड ने यूक्रेन की मदद का आश्वासन दिया है. अमेरिका ने कीव को सुरक्षा सहायता के तौर पर 25 करोड़ डॉलर प्रदान करने की घोषणा की है. युद्ध की शुरुआत (वर्ष 2022) से सदस्य राष्ट्रों ने मिलकर यूक्रेन को 106 बिलियन डॉलर की सुरक्षा सहायता दी है. इसमें से अकेले अमेरिका ने 56 बिलियन डॉलर की सुरक्षा सहायता दी है.
लॉयड ने बताया कि अमेरिका, यूक्रेन को एयर डिफेंस सिस्टम, ‘रिम-7’ मिसाइल, पोर्टेबल एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम ‘स्टिंगर’, एंटी टैंक ‘जैवलिन’ मिसाइल,
टीओडब्ल्यू मिसाइल, ब्रैडले और एम-113 बख्तरबंद वाहन, एंटी टैंक सिस्टम और गोला बारूद समेत कई सैन्य हथियार मुहैया कराएगा.
नीदरलैंड, कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन ने यूक्रेन को क्या दिया
नीदरलैंड, कनाडा और जर्मनी ने भी यूक्रेन को सैन्य सहायता देने का भरोसा दिया है. नीदरलैंड एफ-16 लड़ाकू विमानों के स्पेयर पार्ट्स और मिसाइल देगा, तो वहीं कनाडा ने 80,000 से अधिक सीआरवी-7 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, मशीन गन और टोही विमान देने का आश्वासन दिया है.
जर्मनी ने 77 अतिरिक्त लेपर्ड टैंक और 12 होवित्जर तोपे यूक्रेन को देने का ऐलान किया है. जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने कहा है कि हम जल्द से जल्द यूक्रेन को लेपर्ड टैंक देना चाहते हैं.
ब्रिटेन ने यूक्रेन के लिए 162 मिलियन पाउंड के नए रक्षा पैकेज की घोषणा की है. ब्रिटेन ने 650 मार्टलेट मिसाइल देने का वादा किया है. ब्रिटेन के रक्षा सचिव जॉन हीली ने यूक्रेन की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि यूक्रेन के रक्षा प्रयासों के लिए हम आवश्यक उपकरण देते रहेंगे.
यूक्रेन के बुनियादी ढांचों पर रूस कर रहा हमला: यूरोपीय यूनियन
ईयू की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने यूक्रेन के साथ खड़े रहने का वादा किया है. ईयू की अध्यक्ष ने कहा कि “रूस, यूक्रेन के ऊर्जा बुनियादी ढांचों पर लगातार अटैक कर रहा है. जल्द ही सर्दी बढ़ जाएगी, इसलिए हम यूक्रेन के लोगों के लिए मानवीय सहायता बढ़ाएंगे.” ईयू ने यूक्रेन के बुनियादी ढांचों की मरम्मत के लिए 40 मिलियन डॉलर देने की घोषणा की है. (भारत, चीन और ब्राजील करें युद्ध में मध्यस्थता: पुतिन)
शांति वार्ता की पहल दिखावा या सच?
जर्मनी में हुई बैठक और नाटो देशों की जेलेंस्की को दी जा रही सैन्य मदद जरूर आग में घी डालने का काम करेगी. क्योंकि एक ओर तो जेलेंस्की और अमेरिका कह रह है कि यूक्रेन और रूस में शांति बेहद जरूरी है. वहीं सैन्य सहायता देकर रूस को भड़काने का काम कर रहे हैं. इस सैन्य मदद से कुछ घंटे पहले ही रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका को चेतावनी दी थी कि वो रेड लाइन क्रॉस करके रूस को भड़का रहा है, जिसके अमेरिका को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. (अमेरिका ने पार कर दी है Red Line: लावरोव)
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