By Nalini Tewari Rajput
पहलगाम नरसंहार और ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट ने पाकिस्तान के नापाक इरादों पर बड़ा खुलासा किया है. अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट का दावा है कि पाकिस्तान अपने न्यूक्लियर हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है. साथ ही न्यूक्लियर हथियारों का आधुनिकीकरण कर रहा है. यूएस डिफेंस इंटेलिजेंस की रिपोर्ट ऐसे वक्त में सामने आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक कह दिया है कि भारत के साथ पाकिस्तान की न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग नहीं चल सकती है.
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट से पाकिस्तान बेनकाब
अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने विदेश (चीन) से डब्लूएमडी यानी वेपंस ऑफ मास डिस्ट्रक्शन भी इकठ्ठा कर लिए हैं. पाकिस्तान को भारत से अपने अस्तित्व को खतरा है. ऐसे में पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है. क्योंकि पारंपरिक युद्ध में पाकिस्तान के लिए भारत का मुकाबला करना मुश्किल है. उदाहरण के तौर पर ऑपरेशन सिंदूर देखा जा सकता है, जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान को बुरी तरह से पटखनी दी है.
चीन पर पूरी तरह से निर्भर है पाकिस्तान
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के नाकाम हमलों में उसके साथ चीन और तुर्किए खड़े हुए थे. पूरी दुनिया जहां पाकिस्तान को आतंकी हमलों का जिम्मेदार ठहरा रही थी, वहीं चीनी मिसाइल और तुर्किए की ड्रोन से पाकिस्तान ने अंधाधुंध हमले की कोशिश की थी, लेकिन सारे अटैक नाकाम कर दिए गए थे. अमेरिकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट में पहलगाम हमला और भारत-पाकिस्तान के सैन्य टकराव (6-10 मई) का जिक्र किया गया है.बताया गया है कि भारत, चीन को ही मुख्य दुश्मन मानता है और पाकिस्तान को सुरक्षा के लिहाज से महज एंसीलरी यानी सहायक खतरा मानता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि अपनी सैन्य जरूरतों और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पाकिस्तान, चीन पर निर्भर है.
पाकिस्तान में चीन का निवेश, आतंकी हमलों में मारे गए चीनी नागरिक
पाकिस्तानी सेना हर साल चीन की पीएलए के साथ कई संयुक्त सैन्य अभ्यास करती है, जिसमें नवंबर 2024 में पूरा होने वाला एक नई एयर एक्सरसाइज भी शामिल है. पाकिस्तान के वेपन ऑफ मास डिस्ट्रक्शन यानी डब्ल्यूएमडी प्रोग्राम का समर्थन करने वाली विदेशी साजो-सामान और तकनीक मुख्य रूप से चीन के सप्लायर्स से ही मिलती है और कभी-कभी हांगकांग, सिंगापुर, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात भी इसमें मदद करते हैं.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर काम करने वाले चीनी श्रमिकों को निशाना कई आतंकी हमले किए गए, जिसके बाद चीन और पाकिस्तान में टकराव हुआ था.
अमेरिकी रिपोर्ट में भारत-चीन के संबंधों का जिक्र
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मेक इन इंडिया के तहत देश की सैन्य ताकत बढ़ाने में जुटे हैं ताकि चीन को काउंटर कर वैश्विक नेतृत्व दिया जा सके. चीन के प्रभाव को कम करने और ग्लोबल लीडरशिप के लिए भारत, हिंद महासागर क्षेत्र में मिलिट्री एक्सरसाइज, सैन्य ट्रेनिंग, हथियार बेचने और इंफॉर्मेशन शेयरिंग के माध्यम से दूसरे देशों से डिफेंस पार्टनरशिप कर रहा है. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत अपनी भूमिका बढ़ा रहा है तो क्वाड, बिक्र्स, एससीओ और आसियान जैसे संगठनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने अक्टूबर 2024 में चीन से डिसइंगेजमेंज करार कर लिया है लेकिन सीमा विवाद खत्म नहीं हुआ है. करार के तहत, दोनों देशों ने महज अपनी सेनाओं को पीछे हटाया है.
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट ने बताई भारत की सैन्य ताकत
रिपोर्ट में भारत की बढ़ती मिलिट्री पावर के बारे में बताया गया है. कहा गया है कि परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अग्नि-1 और अग्नि-5 जैसी मिसाइलों का परीक्षण किया गया है. साथ ही न्यूक्लियर ट्रायड को मजबूत करने के लिए दूसरी परमाणु पनडुब्बी (आईएनएस अरिघात) को हाल ही में भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल किया गया है ताकि दुश्मनों का डराया जा सके.
रूस पर निर्भरता कम कर रहा भारत: डीआईए
इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी के नेतृत्व में भारत, अपने हथियारों की जरूरत के लिए रूस पर निर्भरता कम कर रहा है, फिर भी रूसी टैंक और फाइटर जेट्स के स्पेयर पार्ट्स के लिए रशिया पर निर्भरता जारी है. क्योंकि रूस से लिए टैंक और लड़ाकू विमान ही भारत की सैन्य ताकत हैं जिससे चीन और पाकिस्तान से होने वाले खतरों से निपटा जा सके.
अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में पेश की गई रिपोर्ट
यूएस डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (डीआईए) ने वर्ष 2025 में वैश्विक खतरों को लेकर अपनी ये खुफिया रिपोर्ट, अमेरिका की प्रतिनिधि सभा (कांग्रेस) को सौंपी है. इस रिपोर्ट में 11 मई तक की घटनाओं का जिक्र है. एक दिन पहले ही भारत और पाकिस्तान में चार दिनों तक चला मिलिट्री टकराव रोका गया था. भारत ने हालांकि, साफ किया था कि मिलिट्री टकराव, पाकिस्तान की गुजारिश पर किया गया था लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध-विराम कराने के लिए वाहवाही लूटने की कोशिश की थी.