July 3, 2024
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चीन के ग्लोबल नैरेटिव का भंडाफोड़ (TFA Investigation पार्ट-1)

दक्षिण चीन सागर में अपनी दादागीरी जमाने के लिए चीन सिर्फ फिलीपींस के जहाज का रास्ता रोकने या फिर ‘वाटर-कैनन’ से ही वार नहीं कर रहा है बल्कि फिलीपींस के अंदर तक घुसपैठ करने की फिराक में है. भारत में मुंह की खाने के बाद चीन ने फिलीपींस में घुसपैठ की कोशिश के लिए मिलिट्री अधिकारियों के लिए विज्ञापन जारी किए हैं, स्लीपर सेल तक बना लिए हैं और ‘पोगो’ गेम को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. साफ है कि शी जिनपिंग के मिलिट्री ऑपरेशन्स को विदेशी धरती पर ‘इनफार्मेशन-वारफेयर’ जैसी गैर-सैन्य गतिविधियों में इस्तेमाल किया जा रहा है.

ओपन सोर्स इंटेलिजेंस के आधार पर टीएफए ने अपनी खास इंवेस्टीगेशन में पाया कि किस तरह चीन ने फिलीपींस में घुसपैठ की कोशिश की है. इसके लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सेना ने सबसे पहले एक वेबसाइट के जरिए रिक्रूटमेंट ड्राइव शुरु की. इस रिक्रूटमेंट में फिलीपींस की सेना या फिर सरकार में कम से कम एक साल की सेवाएं देने वाले अधिकारियों को ‘पार्ट-टाइम कंसल्टेंट’ के तौर पर भर्ती करने की तैयारी की गई थी. बतौर कंसल्टेंट उन्हें फिलीपींस की सैन्य गतिविधियों पर साप्ताहिक रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया था. जानकारों की मानें तो इस तरह से चीन ने फिलीपींस में सेना के अधिकारियों का एक ‘स्लीपर सेल’ बनाने की तैयारी कर ली थी. यानी ऐसे सीक्रेट ऑफिसर जो ऑर्डर मिलने पर गुपचुप तरीके से दक्षिण चीन सागर में चायना के हितों के लिए काम करते. 

चीन की फिलीपींस में बतौर कंसलटेंट ड्राइव कुछ-कुछ भारत में किए गए असफल ऑपरेशन से मिलती जुलती है. पिछले साल यानी वर्ष 2023 में भारत के कई सामरिक जानकार और सामरिक मामलों से जुड़ी पत्रकारिता करने वाले जर्नलिस्ट को सिंगापुर की एक फर्जी यूनिवर्सिटी के जरिए कंसल्टेंट बनाने की कोशिश की गई थी. इन कंसल्टेंट को भारत की रक्षा-सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर लिखने के एवज में पैसे देने का प्रलोभन दिया गया था. लेकिन सिंगापुर के जरिए चीन की इस साजिश का समय रहते भंडाफोड़ हो गया और ड्रैगन को भारत से अपने हाथ पीछे खिचने पड़े. 

शी जिनपिंग की ‘विस्तारवादी नीतियों’ के साथ ‘ओवरसीज ऑपरेशन्स’ चीन के ‘अदर दैन वार’ पॉलिसी के अनुरूप हैं. दरअसल, वर्ष 2022 में शी जिनपिंग ने चीन की पीएलए सेना के लिए एक खास ‘एमओओटीडब्लू’ नीति जारी की थी. ये थी ‘मिलिट्री ऑपरेशन्स अदर दैन वार’ यानी सेना को युद्ध के अलावा शांति काल में किस तरह गैर-सैन्य गतिविधियों में शामिल किया जा सकता है. ऐसे में पीएलए के गैर-पारंपरिक मिशन भी चीन के स्टेट-क्राफ्ट का हिस्सा बन गए हैं. 

साफ है कि इनफार्मेशन वारफेयर के जरिए चीन अपने दुश्मन देशों और पूरी दुनिया में ‘ग्लोबल नैरेटिव’ बनाने की फिराक में है. लेकिन भारत और फिलीपींस जैसे देश हाई-अलर्ट पर है और चीन की हर साजिश को बेनकाब करने के लिए कमर कस चुके हैं. 

दरअसल, साउथ चायना सी में चीन और फिलीपींस के बीच समुद्री विवाद चल रहा है. चीन की नौसेना और कोस्टगार्ड फिलीपींस के जहाज और मछुआरों तक को यहां आने से रोकते हैं. इसके लिए पिछले एक-डेढ़ साल से चीन के जहाज फिलीपींस के जहाज को या तो टक्कर मारते हैं या फिर वाटर-कैनन यानी पानी की बौछार से हमला करते हैं. एक ऐसी ही घटना 30 अप्रैल को भी सामने आई थी जब फिलीपींस के जहाज पर बीबीसी और सीएनएन जैसे इंटरनेशनल मीडिया के पत्रकार मौजूद थे (South China Sea विश्वयुद्ध के मुहाने पर, चीन-फिलीपींस तनातनी के बीच भारत का युद्धपोत पहुंचा मनीला).

सेना में घुसपैठ को लेकर खुद फिलीपींस के टॉप कमांडर जनरल रोमियो ब्राउनेन ने रेड-फ्लैग जारी किया है. फिलीपींस ने जासूसी कांड पर जांच बैठाई तो चीन ने रातो-रात रिक्रूटमेंट करने वाली वेबसाइट को बंद कर दिया. माना जा रहा है कि चीन ने फिलीपींस आर्मी के मौजूदा और पूर्ववर्ती अधिकारियों से जासूसी के लिए संपर्क साधा था. 

फिलीपींस के अलावा चीन ने ताइवान जैसे छोटे देश की सेना में भी घुसपैठ करने की कोशिश की है. पिछले एक दशक में ताइवान में 21 ऐसे मामले सामने आई हैं जिनमें कैप्टन और उनसे ऊपर रैंक के अधिकारी चीन से रिश्वत लेकर जासूसी करते पकड़े गए थे. पिछले साल नवंबर में ही ताइवान के दो सैन्य अधिकारियों ने कोर्ट में इस बात को कबूल किया था कि वे चीन से रिश्वत लेकर ‘प्रोपेगेंडा वीडियो’ बनाते थे. इसी दौरान ताइवान की सुप्रीम कोर्ट ने एक कर्नल रैंक के अधिकारी को पैसे लेकर चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में जेल की सजा सुनाई थी. यानी जिन भी देशों के साथ चीन का सीमा या फिर कोई दूसरा विवाद चल रहा है वहां ड्रैगन किसी ने किसी तरह से घुसपैठ बनाने की साजिश रच रहा है. 

चीन के इन साजिशों को देखते हुए फिलीपींस के सांसदों तक ने अपने देश के वीजा-कानूनों तक में फेरबदल की मांग कर डाली है. हाल ही में एक सीनेटर ने ‘स्पेशल रेजीडेंट रिटायरमेंट वीजा’ (एसआरआरवी) को रद्द करने की मांग की है. एक अनुमान के मुताबिक, फिलीपींस में करीब 78 हजार विदेशी नागरिक रहते हैं जिनके पास एसआरआरवी वीजा है. खास बात ये है कि इनमें से ’30 हजार चीनी नागरिक’ हैं. फिलीपींस ने विदेशी नागरिकों को अपने देश में रिटायर होने की छूट दे रखी है. इसके तहत विदेशी नागरिक रिटायरमेंट की जिंदगी बिताने के लिए फिलीपींस आ सकते हैं. लेकिन इस खास वीजा का नाजायज फायदा उठा रहे हैं चीन के नागरिक. फिलीपींस की सीनेटर ने लिखित बयान जारी कर कहा था कि एसआरआरवी वीजा का फायदा 35 वर्ष की आयु वाली विदेशी नागरिक उठा रहे हैं जो एक सैनिक के रिटायरमेंट की उम्र होती है. 

चीनी नागरिकों की घुसपैठ फिलीपींस में कितनी गहरी है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है ‘पोगो’ गेम से. दरअसल, मनीला में ‘फिलीपींस ऑफशोर गेमिंग ऑपरेटर’ (पीओजीओ यानी पोगो) में करीब 30 हजार चीनी नागरिक काम करते हैं. चीन द्वारा संचालित पोगो, एक ऑनलाइन गेमिंग फर्म है जो पूरे देश में आपराधिक गतिविधियों में लिप्त है. माना जा रहा है कि फिलीपींस ने जिन 30 हजार चीनी नागरिकों को एसआआरवी वीजा दिया है उनमें से अधिकतर इस पोगो गेम में ही काम करते हैं. 

पोगो गेम में चीनी नागरिकों के शामिल होने का खुलासा तब हुआ जब हाल ही में चार चीनी नागरिकों को फिलीपींस में गिरफ्तार किया गया था. ये चारों आरोपी फर्जी तरीके से चीनी नागरिकों को फिलीपींस के सरकारी आई-कार्ड और दूसरे दस्तावेज मुहैया करा रहे थे. ऐसा इसलिए ताकि ये चीनी नागरिक फिलीपींस में हमेशा हमेशा के लिए बस जाएं और किसी को कानो कान खबर तक ना लगे.  

फिलीपींस के स्लीपर सेल आरोपों को मनीला स्थित चीनी दूतावास ने निराधार और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है. हालांकि, एमओओटीडब्लू का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (यूएन पीसकीपिंग मिशन) और प्राकृतिक आपदा के समय राहत और बचाव कार्य था लेकिन असल में इन मिशन की आड़ में जासूसी के जरिए चीन दुश्मन देशों में घुसपैठ की फिराक में है. 

[TFA की ये इंवेस्टीगेशन OSINT पर आधारित है और इसका पार्ट-2 भी जल्द प्रकाशित किया जाएगा.]

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