मेक इन इंडिया के तहत एविशन इंजन बनाने की दिशा में भारत ने एक बड़ी छलांग लगाई है. भारत की सरकारी उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने फ्रांस की बड़ी एविएशन कंपनी साफरान के साथ मिलकर देश में ही हेलीकॉप्टर इंजन बनाने का करार किया है. इस इंजन को एचएएल ने अरावली नाम दिया है.
एचएएल के मुताबिक, अरावली इंजन को स्वदेशी इंडियन मल्टी रोल हेलीकॉप्टर (आईएमआरएच) और नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात करने के लिए बनाए जा रहे डेक-बेस्ड मल्टी रोल हेलीकॉप्टर (डीबीएमआरएच) में लगाया जाएगा.
अरावली इंजन बनाने के लिए एचएएल ने साफरान कंपनी के साथ मिलकर एक अलग वेंचर तैयार किया है, जिसे एसएएफएचएएल (सफहल) नाम दिया गया है.
निर्माण के बाद अरावली एक नए जेनरेशन का हाई पावर इंजन होगा जिसे 13 टन के एमआईआरएच और डीबीएमआरएच हेलीकॉप्टर में लगाया जाएगा. एचएएल ने नए इंजन का नाम अरावली पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा है.
पिछले साल जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की यात्रा पर गए थे तब साफरान के साथ भारत में ही एविएशन इंजन बनाने को लेकर करार हुआ था.
एचएएल के मुताबिक, सफहल ज्वाइंट वेंचर भारत के एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा और देश को हेलीकॉप्टर इंजन के निर्माण में आत्मनिर्भरता प्रदान करेगा.
आईएमआरएच को भारतीय वायुसेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रूसी मी-17 का रिप्लेसमेंट माना जा रहा है. रूसी के मी-17 मीडियम लिफ्ट ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर अब पुराने पड़ने लगे हैं और उन्हें बदलने की जरुरत है. इसी लिए एचएएल ने आईएमआरएच प्रोजेक्ट शुरु किया है.
एचएएल के मुताबिक, निकट भविष्य में अरावली इंजन को सिविल एविएशन सेक्टर के हेलीकॉप्टर के निर्माण में भी इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें वीवीआईपी ट्रांसपोर्ट भी शामिल है.
गौरतलब है कि भारत के चीता-चेतक हेलीकॉप्टर में भी साफरान के इंजन लगे हैं. इसके अलावा एएलएच-ध्रुव, एलसीएच-प्रचंड और एलयूएच हेलीकॉप्टर में भी साफरान के शक्ति इंजन का इस्तेमाल किया गया है.