भारतीय सेना 175 तरह के अलग-अलग गोला-बारूद इस्तेमाल करती है. इनमें से विंटेज हथियारों के कैलिबर के गोला-बारूद से लेकर एडवांस प्रेसशियन म्युनिशन शामिल हैं. खास बात ये है कि इनमे से 134 कैलिबर के एम्युनिशन भारत में ही डीआरडीओ, डिफेंस पीएसयू और प्राईवेट सेक्टर द्वारा तैयार किए जाते हैं. इस बात का खुलासा खुद थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने किया है.
थलसेनाध्यक्ष जनरल पांडे के मुताबिक, इस समय सेना के करीब 85 प्रतिशत एम्युनेशन भारत में ही तैयार होते हैं. बाकी 15 प्रतिशत के लिए भी देश में ही बनाने की तैयारी चल रही है. जनरल पांडे ने हालांकि इस बात पर भी चिंता जताई कि ऑपरेशन्ल और ट्रेनिंग के लिए सेना को गोला-बारूद की बड़ी आवश्यकता होती है. लेकिन उत्पादन में आने वाली कठिनाईयों और क्षमता के कारण मांग और आपूर्ति में काफी अंतर रहता है. थलसेना प्रमुख के मुताबिक, ऐसे में इस अंतर को प्राईवेट इंटस्ट्री पूरा कर सकती है.
सोमवार को थलसेना प्रमुख उत्तर प्रदेश के कानपुर में एम्युनिशन एंड मिसाइल कॉम्पलेक्स का दौरा कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने सरकारी अधिकारियों, डिफेंस सेक्टर की कंपनियों से जुड़े नुमाइंदों और गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित किया. इस दौरान जनरल पांडे ने कहा कि रणनीतिक विवेक ये दर्शाता है कि कि गोला-बारूद उत्पादन में स्वदेशी क्षमताएं युद्ध के दौरान ऑपरेशन्ल रेडिनेस और टेम्पो यानि परिचालन तत्परता और गति बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण कारक हैं.
थलसेना प्रमुख ने गोला-बारूद के निर्माण में उच्च क्वालिटी, टेक्नोलॉजी, लागत क्षमता और टेस्टिंग पर जोर देते हुए कहा कि इसमें निर्यात की भी बड़ी संभावनाएं हैं. जनरल पांडे ने कहा कि जिस तरह वैश्विक सुरक्षा वातावरण बन रहा है उससे गोला-बारूद की डिमांड कई गुना बढ़ने जा रही है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस वक्त दुनियाभर में एम्युनिशेन निर्माण में काफी सीमित प्लेयर्स हैं. जनरल पांडे ने कहा कि निश-टेक्नोलॉजी के लिए ग्लोबल-हब बनने के लिए भारत को अपने गोला-बारूद की गुणवत्ता और ग्लोबल मानकों पर खरा उतरना होगा. तभी भारत, मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड की नीति को साकार कर सकेगा.
सोमवार को अडानी डिफेंस ने भी कानपुर स्थित एम्युनिशन एंड मिसाइल कॉम्पलेक्स में अपनी दो यूनिट का उद्धाटन किया. इस दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे.
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