रूस ने साफ किया है कि इस साल अप्रैल के महीने से भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में मिलिट्री सर्विस के लिए भर्ती बंद कर दी गई है. रूस का ये स्पष्टीकरण विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस बयान के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि रूस से 69 भारतीय नागरिकों की रिहाई बाकी है.
राजधानी दिल्ली स्थित रूसी दूतावास ने बयान जारी कर स्पष्टीकरण दिया कि “अप्रैल महीने से रूसी रक्षा मंत्रालय ने कई देशों के नागरिकों को मिलिट्री सर्विस में एडमिशन बंद कर दिया गया है. इन देशों में भारत भी शामिल है.”
यूक्रेन से जंग के दौरान भारतीय नागरिकों की मौत पर शोक जताते हुए रूसी दूतावास ने कहा कि स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन के दौरान ऐसी दुखद घटनाएं सामने आई हैं.
दूतावास के मुताबिक, भारतीय एजेंसियों के सहयोग से उन भारतीय नागरिकों की जल्द से जल्द पहचान की जाएगी जिन्होंने स्वेच्छा से रूस में मिलिट्री सर्विस को चुना था. ऐसे भारतीय नागरिकों के सभी अनुबंधित दायित्व और सभी के मुआवजे का भुगतान किया जाएगा.
दरअसल, जयशंकर ने हाल ही में संसद में बताया था कि रूस में 69 ऐसे भारतीय हैं जो यूक्रेन के वार-जोन में तैनात हैं. उनके स्वदेश लाने की प्रक्रिया जारी है. जानकारी के मुताबिक, रूस की तरफ से कुल 91 भारतीय वार-जोन में गए थे. इनमें से आठ (08) की मौत हो चुकी है और 14 किसी तरह स्वदेश लौट आए हैं.
पिछले महीने रूस की राजधानी मॉस्को की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से युद्ध-क्षेत्र में फंसे भारतीयों का मुद्दा उठाया था.
रूसी दूतावास ने अपने बयान में ये भी साफ किया कि रूसी सरकार ने कभी भी भारतीय नागरिकों को मिलिट्री सर्विस में रिक्रूटमेंट को लेकर किसी भी तरह का कोई सार्वजनिक या फिर गुपचुप तरीके से कोई अभियान नहीं चलाया है, फर्जी या धोखाधड़ी के जरिए तो कतई नहीं. (यूक्रेन का बड़ा उलटफेर, रूस में घुसकर स्ट्राइक)