रूस में बने ‘तुशिल’ युद्धपोत को ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किया गया है ताकि भारत की समुद्री-सीमा को ‘अभेद्य कवच’ प्रदान किया जा सके. करीब 125 मीटर लंबा और 3.9 टन भारी मल्टी रोल स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट ‘आईएनएस तुशिल’ को सोमवार (9 दिसंबर) को भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल किया जाएगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में रूस के कलिनिनग्राड में तुशिल की कमीशनिंग सेरेमनी आयोजित की जाएगी.
आईएनएस तूशिल उन दो युद्धपोतों में से एक है जिसका निर्माण देश से बाहर (रूस में) हुआ है. तुशिल के साथ ही ‘तामल’ का निर्माण भी कलिनिनग्राड शिपयार्ड में चल रहा है. इस वक्त भारत के कुल 60 जंगी जहाज (और एक पनडुब्बी) स्वदेशी शिपयार्ड में तैयार किए जा रहे हैं.
तुशिल, ‘क्रिवाक-3’ क्लास फ्रिगेट का अपग्रेडेड वर्जन है जिसे प्रोजेक्ट 1135.6 के तहत बनाया गया है. इस क्लास के तीन ‘तलवा’र क्लास जंगी जहाज का निर्माण रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टीस्काई शिपयार्ड में हुआ था और भारतीय नौसेना का हिस्सा हैं. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1864964334532665820)
इस क्लास के तीन फॉलो-अप ‘तेग’ क्लास युद्धपोतों का निर्माण सेंट कलिनिनग्राड के यांतर शिपयार्ड में हुआ था. तुशिल, इस क्लास का छठा जहाज होगा और तामल सातवां.
भारत ने वर्ष 2016 में रूस के जेएससी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट कंपनी के साथ दो स्टील्थ फ्रिगेट (तुशिल और तामल) बनान का करार किया था. इन दोनों जंगी जहाज के निर्माण के लिए भारतीय नौसेना की एक टीम कलिनिनग्राड में ही तैनात थी.
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता, कमांडर विवेक मधवाल के मुताबिक, तूशिल में करीब 26 प्रतिशत स्वदेशी मैटेरियल है और इसमें 33 मेड इन इंडिया उपकरण हैं. तुशिल के लिए जिन भारतीय कंपनियों ने मदद की है, उनमें ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), नोवा (टाटा) इंटीग्रेटेड सिस्टम, सहित कई स्वदेशी ओईएम शामिल हैं.
तुशिल, एक संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘रक्षा करने वाला’ यानी ‘प्रोटेक्टर शील्ड’. तुशिल का क्रेस्ट ‘अभेद्य कवचम’ प्रस्तुत करता है तो उसका आदर्श-वाक्य है ‘निर्भय, अभेद्य और बलशील’.
आईएनएस तुशिल, भारतीय नौसेना की मुंबई स्थित पश्चिमी कमान की वेस्टर्न फ्लीट (‘स्वार्ड आर्म’) का हिस्सा होगा. तकनीक के तौर पर तूशिल को दुनिया के सबसे एडवांस फ्रिगेट में गिना जा रहा है.
तुशिल की कमीशनिंग सेरेमेनी से भारत और रूस के सैन्य संबंधों में नया आयाम जुड़ने जा रहा है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मॉस्को जा रहे हैं. तीन दिवसीय दौरे (8-10 दिसंबर) के दौरान राजनाथ सिंह की मौजूदगी में रूस में निर्मित युद्धपोत (आईएनएस) तुशील को भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा. अगले साल (2025) के शुरूआत में पुतिन का भारत दौरा होने जा रहा है.
पिछले एक दशक में ये पहली बार है कि रूस में बना कोई जंगी जहाज नौसेना में शामिल होगा. वर्ष 2013 में भारत ने रूस से आईएनएस विक्रमादित्य एयरक्राफ्ट कैरियर खरीदा था.
पिछले एक दशक में भारत स्वदेशी जंगी जहाज के निर्माण में जुटा है. यही वजह है कि इस वक्त इंडियन नेवी के जो 63 निर्माणाधीन युद्धपोत हैं, उनमें से मात्र दो (तुशिल और तामल) ही विदेश में बन रहे हैं.