July 3, 2024
XYZ 123, Noida Sector 63, UP-201301
Alert Breaking News Geopolitics India-China NATO Russia-Ukraine War

शी जिनपिंग पेरिस में, यूक्रेन उत्सुक भारत अलर्ट

भारत के खास सामरिक मित्र-देश फ्रांस पहुंचे हैं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग. शी जिनपिंग का पेरिस दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब चीन की यूरोपीय संघ से तनातनी चल रही है. यूरोप को साधने के साथ साथ चीन को भारत और फ्रांस का रिश्ता भी अखर रहा है. क्योंकि रूस के बाद फ्रांस ही वो दूसरा देश है जो भारत के लिए सबसे बड़ा हथियारों का सप्लायर है. भारत ने फ्रांस से राफेल जेट, स्कॉर्पिन पनडुब्बी और कई घातक मिसाइल हाल के वर्षों में खरीदी हैं.

भारत के दोस्त पर क्यों है चीन की नजर ?
5 साल में पहली बार शी जिनपिंग किसी भी यूरोप के देश पहुंचे हैं. फ्रांस के दौरे से शी जिनपिंग यूरोपीय यूनियन और भारत दोनों पर निशाना साध रहे हैं. शी जिनपिंग के फ्रांस के तीन बड़े कारण है.

पहला कारण ये है कि यूरोपीय यूनियन ने पिछले सप्ताह ही चीन के विंड टर्बाइन और मेडिकल उपकरणों की जांच शुरू कराई है. इसके अलावा चीन के सुरक्षा उपकरणों को बनाने वाली कंपनी नूकटेक के कार्यालयों पर भी छापा मारा है. ऐसे में चीन ने फ्रांस से अपील की है कि वह यूरोपीय यूनियन को चीन के प्रति ‘सकारात्मक’ और ‘व्यावहारिक’ नीति का रवैया रखे.

दूसरा कारण है मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से फ्रांस से भारत के रिश्ते और गहरे हो गए हैं. पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों की मित्रता इतनी गहरी है कि बस एक कॉल पर पीएम मोदी फ्रांस के बैस्टिल डे परेड के तो, भारत के गणतंत्र दिवस पर इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि बन गए थे. ऐसे में शी जिनपिंग की कोशिश है कि फ्रांस, चीन के पाले में आ जाए.

तीसरा कारण है रूस-यूक्रेन युद्ध. क्योंकि जंग में रूस को चीन का साथ मिल रहा है. फ्रांस भी यूक्रेन में अपने सैनिकों को तैनात करने जा रहा है. चीन पर रूस को हथियार सप्लाई करने का आरोप है. रूस को हथियार सप्लाई करने पर फ्रांस भी चीन पर भड़का हुआ है. यूक्रेन का समर्थन ना करने से चीन-फ्रांस के रिश्ते खराब हुए थे, उसे वापस पटरी पर लाना है. अगर फ्रांस और चीन के रिश्ते में सुधार होता है तो यूरोपीय देशों में भी चीन की पैठ बढ़ने लगेगी. क्योंकि चीन को यूरोपीय देश कुछ खास पसंद नहीं करते हैं.

क्या पाला बदल रहे हैं इमैनुएल मैक्रों ?
पिछले साल अप्रैल 2023 में इमैनुएल मैक्रों ने चीन का दौरा किया था. इस दौरान बीजिंग पहुंचे मैक्रों ने शी जिनपिंग के साथ मुलाकात के बाद ये बयान देकर सनसनी मचा दी थी कि “यूरोप को अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए, हमें ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच टकराव में घसीटे जाने से बचना चाहिए.”

फ्रांस में चीनी राष्ट्रपति का हुआ विरोध
पेरिस पहुंचने पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का मैक्रो सरकार ने जोरदार स्वागत किया पर पेरिस में मौजूद तिब्बत और शिनजियांग की वकालत करने वाले कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त विरोध किया. तिब्बत और शिनजियांग में मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ लोग इकट्ठा हुए. हाथों में झंडे और बैनर पोस्टर लेकर शी जिनपिंग के फ्रांस दौरे का विरोध किया.  

चीन के मुताबिक चीन और फ्रांस के बीच राजनयिक रिश्ते के 60 साल पूरे होने पर यह दौरा किया जा रहा है. फ्रांस के साथ-साथ शी, हंगरी और सर्बिया (5-10 मई) के दौरे पर हैं. लेकिन शी जिनपिंग के फ्रांस दौरे पर भारत की पूरी नजर है, क्योंकि हिंद महासागर में भारत की बढ़ती ताकत भी चीन को अखर रही है. हिंद महासागर में पिछले साल भारत ने फ्रांस के साथ मिलकर  बड़ा युद्धाभ्यास भी किया था. आर्मेनिया में भी फ्रांस के साथ मिलकर भारत सहयोग कर रहा है. पीएम मोदी और मैक्रों जब भी मिलते हैं तो गजब की केमिस्ट्री देखने को मिलती है. ऐसे में भारत को मिल रहे फ्रांस के सहयोग से चीन की चिंता बढ़ी है. 

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.

Leave feedback about this

  • Rating
X