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मोदी भांप गए चीन की चाल, डैम का निकाला तोड़

तिब्बत सीमा में ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन द्वारा बनाए जा रहे बांध से मुकाबला करने के लिए भारत भी तैयार है. चीनी बांध का काउंटर करने के लिए भारत भी बनाने वाला है सियांग बांध.

दरअसल आशंका इस बात की है कि भविष्य में चीन अपने बांध के जरिए लोगों का पानी रोक कर भारत के नॉर्थ ईस्ट को पानी से वंचित कर सकता है. भारत ने चीन से बांध को लेकर चिंता भी जाहिर की है, चीन ने अपने जवाब में कहा है कि भारत की चिंता व्यर्थ हैं.

चीन बांध के जरिए भारत पर दबाव बनाना चाहता है तो भारत ने भी निकाल लिया है, चीनी बांध का तोड़.

तिब्बत में चीनी बांध का मुकाबला करेगा सियांग बांध: अरुणाचल के डिप्टी सीएम

चीन के बांध को लेकर कूटनीतिक बातचीत की जा रही है. वहीं अरुणाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम चौना मेन ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि “चीन के बांध का मुकाबला करने के लिए सियांग बांध तैयार किया जाएगा.”

अरुणाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम ने कहा है कि “सियांग बांध यारलुंग त्सांगबो पर चीनी बांध का मुकाबला करेगा. ये बांध राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम है. स्थानीय लोगों को ये समझना चाहिए. हम लोगों को चीन के बनाए जा रहे बांध की जानकारी दे रहे हैं. पिछले 5 साल से हम सियांग बांध को लेकर लोगों से बात कर रहे हैं. कई लोग तो समझ गए हैं, पर कुछ लोग स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ पा रहे हैं कि प्रस्तावित चीनी बांध सियांग नदी और निचले इलाकों को कितना प्रभावित करने वाला है.”

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सियांग बांध क्यों है जरूरी: डिप्टी सीएम

अरुणाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम के मुताबिक, “अगर भविष्य में चीन पानी छोड़ता है तो पूरी सियांग नदी, ब्रह्मपुत्र घाटी और गुवाहाटी का सारिघाट पुल जलमग्न हो जाएंगे. उसका मुकाबला करने के लिए हमारी सरकार ने सियांग बांध बनाने का फैसला लिया है. अगर चीन पानी छोड़ना बंद कर दे तो नदी सूख जाएगी. बांध न केवल बिजली उत्पादन के लिए है बल्कि ये चीन की ओर से पानी रोकने में भी हमारी मदद करेगा और धीरे-धीरे हम अपने बांध से पानी छोड़ सकते हैं.”

चीन की चाल भांप गए हैं पीएम मोदी !

ब्रह्मपुत्र नदी, उत्‍तर-पूर्व की लाइफलाइन है. ऐसे में चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाकर आधिपत्य जमाने की फिराक में है. पर पीएम मोदी चीन की चाल को भांप चुके हैं, इसलिए सियांग बांध की आवश्यकता को जानते हैं. लिहाजा अपर सियांग बहुउद्देश्यीय परियोजना (एसयूएमपी) लाए हैं, जो अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में सियांग नदी पर प्रस्तावित एक जल विद्युत परियोजना है.

सरकार के इस प्रोजेक्‍ट के जरिए ना सिर्फ हर साल आने वाली बाढ़ पर नियंत्रण किया जा सकेगा बल्कि पानी का उपयोग सिंचाई के काम और बिजली बनाने के लिए भी लाया जा सकेगा. अगर चीन ब्रह्मपुत्र के पानी को रोकता है तो सियांग नदी के पानी के जरिए भारत नार्थ-ईस्‍ट में लोगों को पानी मिल सकता है.

भारत में इससे पहले सतलुज नदी पर भाखड़ा नांगल बांध, दामोदर वैली प्रोजेक्‍ट जैसे कई बांध हैं और ऐसा ही बांध सियांग नदी पर बनाने की कोशिश है. 

सीएम पेमा खांडू और हिमंता बिस्वा सरमा भी उठा चुके हैं सवाल अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू ने भी पिछले सप्ताह जब चीन ने बांध बनाने का ऐलान किया था तो सियांग बांध की पैरवी की थी. सीएम खांडू ने कहा था कि “सियांग पर बहुउद्देशीय परियोजना से न सिर्फ बिजली पैदा होगी, बल्कि चीन की ओर से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने की स्थिति में बाढ़ का जोखिम कम किया जा सकेगा.” 

चीन के प्रस्तावित बांध को लेकर असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा भी आशंकित हैं. सीएम सरमा ने कहा-“अगर चीन बांध बनाता है तो ब्रह्मपुत्र की क्षेत्र नाजुक हो जाएगा. ये सूख जाएगी और केवल भूटान और अरुणाचल प्रदेश की बारिश के पानी पर निर्भर करेगा.”

तिब्बत क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के बांध बनाने के फैसले पर विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

भारत ने चीन की ओर से ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाए जाने के फैसले पर भी चिंता जताई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि-“25 दिसंबर 2024 को चीनी मीडिया के माध्यम से हमें तिब्बत के क्षेत्र में यारलुंग जांग्बो नदी (भारत में ब्रह्मपुत्र नदी) पर एक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट परियोजना की जानकारी मिली. नदी के पानी पर हमारा भी स्थापित अधिकार है. इसके अलावा, एक निचले तटवर्ती देश होने के नाते, हमने लगातार विशेषज्ञ-स्तर के साथ-साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष को उनके क्षेत्र में नदियों पर मेगा परियोजनाओं पर अपने विचार और चिंताएं व्यक्त की हैं.”

भारत के विरोध पर चीन ने क्या दी सफाई

विदेश मंत्रालय की चिंताओं पर चीन ने सफाई दी है. चीन ने कहा है कि इस परियोजना का वैज्ञानिक सत्यापन हो चुका है. इसका भारत और बांग्लादेश पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा. चीनी विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा- “यारलुंग सांगपो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी का तिब्बती नाम) के निचले क्षेत्र में चीन जलविद्युत परियोजना का निर्माण कार्य का वैज्ञानिक सत्यापन किया गया है. इससे निचले हिस्से में स्थित किसी भी देश के पारिस्थितिकी पर्यावरण और जल संसाधनों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा.”

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